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Thursday 31 December 2009

""नव-वर्ष 2010" " (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")


इस नये वर्ष में आप हर्षित रहें,
ख्याति-यश में सदा आप चर्चित रहें।
मन के उपवन में महकें सुगन्धित सुमन,
राष्ट्र के यज्ञ में आप अर्पित रहें।।

Saturday 26 December 2009

"86 वर्षीय बूढ़े-बरगद पर ऐसा गन्दा आरोप ?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

पं. नारायण दत्त तिवारी विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं।
कुछ तो शर्म करो!
86 वर्षीय बूढ़े-बरगद पर ऐसा गन्दा आरोप ?
(चित्र मे पं. नारायण दत्त, डॉ.केडी.पाण्डेय और किनारे डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री)

आज समाचार पत्रों मे और नेट पर पं. नारायण दत्त तिवारी के बारे में पढ़ा तो बहुत ही दुःख हुआ। 86 वर्षीय एक बूढ़ा व्यक्ति सेक्स सकैण्डल के घेरे में। कितना अप्रत्याशित लगता है यह। पं. नारायण दत्त तिवारी पर तो आरोप शुरू से ही लगते रहे हैं। कभी हवाला मे लिप्त होने के, कभी सेक्स मे फँसे रहने केऔर हद तो जब हो गयी कि एक युवक ने अपने को तिवारी जी का नाजायज पुत्र ही कह दिया। लेकिन हर बार माननीय तिवारी जी ससम्मान दोष-मुक्त हुए हैं।
अख़बार वालों को तो मसाला न्यूज मिलनी चाहिए चाहे उसमें सत्यता हो या न हो। ये शायद यह भूल जाते हैं कि जब तिवारी जी केन्द्र मे वित्त-मन्त्री थे तो स.मनमोहन सिंह उनके वित्त-सचिव और वर्तमान में योजना आयोग के उपाध्यक्ष स. मोन्टेक सिंह अहलूवालिया उनके डिप्टी सेक्रेटरी हुआ करते थे। मा. तिवारी जी ने केन्द्र मे योजनामन्त्री, उद्योग मऩ्त्री, विदेश मन्त्री आदि महत्वपूर्ण पदों को तो सुशोभित किया ही है साथ ही वे 4 बार उ.प्रदेश और एक बार उत्तराखण्ड के मुख्य मन्त्री भी रह चुके हैं।
तिवारी जी ने इस झूठ का सामना करने के लिए आन्ध्र-प्रदेश के राज्यपाल पद से त्यागपत्र भी दे दिया है। यह उनकी नैतिकता का ही परिचायक है। वे एक सत्ते गांधीवादी रहे हैं और रहेंगे।
मुझे मा. तिवारी जी का सानिध्य शुरू से ही मिला है, उत्तराखण्ड में सरकार में भी उनके साथ काम करने अवसर मिला है। 80 साल की उम्र में भी वे 17-18 घण्टे लगातार कार्य में संलग्न रहते थे।
ऊपर का चित्र 18 साल पुराना है। उनकी आयु उस समय 70 साल थी। उन दिनों में मैंने काफी दिन-रात उनके साथ गुजारे थे। मुझे सदैव उनमें एक विलक्षण पुरुष और विकास-पुरुष के दिग्दर्शन हुए।
मुझे आशा है कि मा. तिवारी जी इस स्कैण्डल में भी निष्कलंक साबित होंगे।

Friday 25 December 2009

"चिट्ठा-जगत बन्द क्यों?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

आज 25 दिसम्बर है, यानि बड़ा दिन।
चिट्ठा-जगत पिछले 3 दिनों से बन्द पड़ा है।
हिन्दी ब्लॉगरों के लिए यह चिन्ताजनक है।
और हो भी क्यों नही।
दुनिया रंग-रँगीली है।
एक धुरऩ्धर महाशय ने तो अपना नाम ही ऐसा रख छोड़ा है कि
"लिखते हुए भी लज्जा आती है।"

पोस्‍ट हिट करने के हतकंडे

देसी भाषा की खिचडी पकाकर एक घटिया पोस्‍ट लिखो.

अपने चापलूस दोस्‍तों को फोन करो कि पसंद को क्लिक करें.

अपने ब्‍लगार दोस्‍तों को फोन करो कि वे कमेंट करें.

आप स्‍वयं सौ दो सौ टिप्‍पणियां करो.

एग्रीनेटरों में पसंद को किलिक करवाकर के जरिए

उंची जगह पर अपना पोस्‍ट दो दिन तक टांगे रहो.

कहीं इन्हीं से घबड़ाकर तो "चिट्ठा-जगत" बन्द नही हो गया!
सभी को ईसा मसीह के जन्म-दिन की ढेरों शुभकामनाएँ!

Wednesday 23 December 2009

"राष्ट्रीय सेवा योजना-एक परिचय!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

आज इण्टर-नेट पर
राष्ट्रीय सेवा योजना के बारे में बहुत खोजा,
परन्तु कुछ खास नही मिला।
इसलिए यह पोस्ट लगानी पड़ी।

राष्ट्रीय सेवा योजना के अन्तर्गत आने वाले
कार्यक्रमों की एक झलक-

1- शिक्षा एवं मनोरंजन-
क- काम-चलाऊ अक्षर ज्ञान।
ख- स्कूल छोड़ देने वालों की शिक्षा के प्रति रुचि जगाना।
ग- सांस्कृतिक गतिविधियाँ।
घ- सामाजिक बुराइयों का उन्मूलन।

2- पर्यावरण -
क- प्राचीन स्मारकों की सुरक्षा के उपाय।
ख- कूड़े-करकट को खाद में परिवर्तित करना।
ग- पॉलीथीन उन्मूलन।
ग- ग्राम की गलियों की मरम्मत।
घ- हैण्ड-पम्पों की सफाई।
ड.- वृक्षारोपण,उनकी सुरक्षा और देख-रेख।
च- भू-कटाव को रोकना और भूमि का परिरक्षण।
छ- गोबर गैस संयन्त्रों के प्रति रुचि जाग्रत करना।
ज- सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना।
झ- मलिन बस्तियों की सफाई।
ञ- पानी का विश्लेषण।
ट- नदियों और कुओं की सफाई।

3- स्वास्थ्य-
क- रोगों से बतने के उपाय।
ख- सन्तुलित आहार की जानकारी।
ग- स्वच्छ पेय जल के बारे में जानकारी देना।
घ- नियोजित जनसंख्या और परिवार कल्याण।
ड.- रक्तदान शिविर।
च- स्वाइन फ्ल्यू के प्रति लोगों को जागरूक करना।
छ- एड्स से बचाव के उपाय।
ज- नशा उन्मूलन।

4- कृषि-
क- उन्नत खेती के तरीकों को समझाना।
ख- कीट-नाशकों के बारे में जानकारी देना।
ग- खर-पतवार नियन्त्रण।
घ- उर्वरकों के वारे में जानकारी देना।
ड.- स्कर बीजों के बारे में जानकारी देना।

5- समाज सेवा-
क- महिलाओं को बुनाई-सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण देना।
ख- महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जाग्रत करना।
ग- सामाजिक एवं आर्थिक सर्वेक्षण करना।
घ- ग्रामीण दिकास के लिए बैंकों की भूमिका के बारे में बताना।

Thursday 17 December 2009

"भारत में पहली बार रुड़की में चली थी ट्रेन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

"21 दिसम्बर, 1851 को पहली बार रुड़की में चली थी ट्रेन"

रुड़की शहर की पहचान पिरान कलियर और आई.आई,टी. (रुढ़की यूनिवर्सिटी) के कारण ही है, किन्तु बहुत कम लोग यह जानते हैं कि भारत में पहली बार ट्रेन भी इसी शहर में चली थी। आज से 158 वर्ष पूर्व 21 दिसम्बर, 1851 को दो बोगियों वाली ट्रेन रुड़की से पिरान कलियर के लिए चली थी। इस ट्रेन का उपयोग माल ढुलाई के लिए किया गया था।आम आदमी को रुड़की की इस उपलब्धि से परिचित कराने के लिए इस ऐतिहासिक ट्रेन के इंजन को रुड़की रेलवे स्टेशन के प्रांगण में रखा गया है।
उन्नीसवीं शताब्दी में अंग्रेजों के शासनकाल में हरिद्वार से गंगा नदी को उत्तर भारत से जोड़ने के लिए गंग-नहर का निर्माण किया जा रहा था। नहर निर्माण के दौरान लाखों टन मिट्टी को हटाने में दिक्कत आ रही थी। पहले तो श्रमिकों से मिट्टी से भरे हुए डिब्बों को खिचवाने की कोशिश की गई लेकिन सफलता नही मिली। अतः घोड़ों से इन डिब्बों को खिंचवाया गया, लेकिन इसमें बहुत देर लग रही थी। नहर निर्माण की योजना में बिलम्ब होते देख कार्यदायी संस्था द्वारा इंग्लैण्ड से विशेषरूप से माल ढोने वाले वैगन और इंजन को मँगवाया गया।
छह पहियों और 200 टन भार की क्षमता वाली इस ट्रेन को चलाने के लिए रुड़की से पिरान-कलियर के मध्य रेल पटरियाँ बिछाई गयीं।
21 दिसम्बर, 1851 को पहली बार रेल इंजन दो मालवाहक डिब्बों को लेकर रुड़की से पिरान-कलियर के लिए रवाना हुआ। भारत में पहली बार रेल-गाड़ी के चलने को लेकर पूरा देश उत्साहित था। चार मील प्रति घण्टे की गति से चलने वाले इस इंजन को देखने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों से भी हजारों लोग पहुँचे थे।
बाद में रुड़की रेलवे स्टेशन की स्थापना होने पर इस ऐतिहासिक इंजन को स्टेशन के प्रांगण में लोगों के दर्शनार्थ स्थापित कर दिया गया है। 
रुड़की रेलवे स्टेशन प्रांगण में एक शिलापट्ट पर भी सुनहरे अक्षरों मे इस ऐतिहासिक घटना का उल्लेख दिखाई देता है।
(खटीमा मॉर्निंग  अंक-51 से साभार)

Thursday 10 December 2009

"यही है हमारा स्तर??" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

हिन्दी ब्लॉगरों में आखिर साहित्यकारों के प्रति 
इतनी अरुचि क्यों है?
बात तो समझ मे खूब आ रही है जी!
गधे की पूँछ में कनस्तर बाँधकर दौड़ाने से
बेतहाशा भीड़ इकट्ठी हो जाती है,
ऐसी पोस्ट पर कमेण्ट भी थोक में आते हैं।
उदाहरण देखें-
लखनऊ में ब्लॉगर दंगा: 
सलीम खान और उम्दा सोच वाले सौरभ के बीच घमासान युद्ध.. comments:84 
"कवि त्रिलोचन को भाव-भीनी श्रद्धाञ्जलि" comments:4 only

जी हाँ यही तो है हमारा स्तर!

Tuesday 8 December 2009

"ध्यान दें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

!! अनमोल बातें !!

(1)
बच्चों को दण्ड नही दिशाएँ दें! 
(अज्ञात)


(2)
अच्छी बात बच्चे की भी मान लो
लेकिन बुरी बात फरिश्ते की भी मत मानो! 
(अज्ञात)


(3)
प्रणाम लेने का अधिकार उसी का है,
जो प्रणाम करने वाले से अधिक योग्य हो! 
(अज्ञात)


(4)
वही श्रेष्ठ है जो पढ़ता है!
ज्ञान बाँटने से बढ़ता है!!  
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")


(5)
धन पा जाना बहुत सुलभ है!
सज्जन बन पाना दुर्लभ है!!  
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")